किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर नहीं पहुँच पाते हैं क्योंकि सदैव सहायक के रूप में काम करते रहने से उनकी वैसी ही संकुचित आदत बन जाती है। जिससे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में अकेले में संकोच होता है। इस तरह उनके स्वभाव में साहस का अभाव हो जाता है। कई बार परिस्थितियां भी इतनी हावी हो जाती हैं कि संगतकार को मुख्य भूमिका नहीं मिल पाती और कई बार प्रतिभावान संगतकार राजनीति का शिकार भी हो जाते हैं।
दूसरी तरफ मुख्य गायक भी समय के अनुसार इतना योग्य और सतर्क हो जाता है कि संगतकार को मुख्य गायक की भूमिका में आने का अवसर ही नहीं देता है, क्यों कि शायद उन्हें ये डर बना रहता है कि कहीं ये संगतकार उनसे आगे न निकल जाए।